आज १ जुलाई अंतराष्ट्रीय ब्लॉग दिवस की अनेक बधाई।
सोशल मिडिया पर आजकल बहुत संदेस आते है पुराने लोगो की बातें सहेज कर रखे.
बिलकुल सही भी है इसी क्रम में मुझे अपने मायके में बहुत पुराणी क्किताबो में सं उन्नीस सौ अठाईस की माधुरी पत्रिका का बिशेषांक मिला (फ़िल्मी माधुरी नहीं )०जिसके सम्पादक थे पंडित कृष्णबिहारी मिश्र
मेनेजिंग एडिटर पंडित रामसेवक त्रिपाठी
जिसका वार्षिक मूल्य विदेश के लिए सिर्फ १ रुपया था।
उसी अंक में से महाकवि देव की पावस रचना
घहर घहर गहन, घेरि के घहरिया
झहर झहर झुकि, झीनी झरि लायो देव
छहर छहर छोटी, बूंदन छहरिया
हहर हहर हँसि हँसि, के हिंडोरे ,चढ़ी
थहर थहर तन,, कोमल थहरिया
फहर फहर होत पीतम को पीतपट
लहर लहर होति, प्यारी की लहरिया।
सोशल मिडिया पर आजकल बहुत संदेस आते है पुराने लोगो की बातें सहेज कर रखे.
बिलकुल सही भी है इसी क्रम में मुझे अपने मायके में बहुत पुराणी क्किताबो में सं उन्नीस सौ अठाईस की माधुरी पत्रिका का बिशेषांक मिला (फ़िल्मी माधुरी नहीं )०जिसके सम्पादक थे पंडित कृष्णबिहारी मिश्र
मेनेजिंग एडिटर पंडित रामसेवक त्रिपाठी
जिसका वार्षिक मूल्य विदेश के लिए सिर्फ १ रुपया था।
उसी अंक में से महाकवि देव की पावस रचना
- पावस
घहर घहर गहन, घेरि के घहरिया
झहर झहर झुकि, झीनी झरि लायो देव
छहर छहर छोटी, बूंदन छहरिया
हहर हहर हँसि हँसि, के हिंडोरे ,चढ़ी
थहर थहर तन,, कोमल थहरिया
फहर फहर होत पीतम को पीतपट
लहर लहर होति, प्यारी की लहरिया।