बहुत सारे आहार है
फिर भी
निराहार
महसूस होती
जिन्दगी|
बहुत सारे आधार है
फिर भी
निराधार
महसूस होती
जिन्दगी |
फिर भी
निराधार
महसूस होती
जिन्दगी |
जब अटे पड़े है
बाजार
कपड़ो से
फिर भी
जार जार
महसूस होती
जिन्दगी |
समुन्दर के किनारे
शिद्दत से
प्यास को
महसूस
करती है ज़िदगी |
शिद्दत से
प्यास को
महसूस
करती है ज़िदगी |