Saturday, May 26, 2012

कुछ कड़ियाँ ,जो आपस में जुडती ही नहीं ?

     1.

मेरे सिरहाने
बैठी यादे
जुड़ जाती है
और
सक्रीय होकर
सपने बुन लेती है ,
अपनी कल्पनाओ की
झालरों के साथ 
       2.
फूलो की बस्ती में ,
पत्थरों का क्या काम?
रंगों की मस्ती में ,
सफेदी का क्या काम?
चंदा की चांदनी में ,
रूपसी का क्या काम?
सूरज की रौशनी में ,
चिरागों का क्या काम ?

        3.
अपराधी पिता को
बचाने
संकल्पित पुत्री को देखकर
उसी पिता के पुत्र का
उत्तर -
हाँ !वे ऐसा कर सकते है ?
उत्तराधिकारी को
परिभाषित कर गया .........