मेरी रसोई की कहानी
हम मध्यम वर्ग की गृहिणियों में कोई भी चीज का नुकसान न होने देने की आम बीमारी होती है।
ये ठीक उसी तरह होती है जैसे कोई भी सुंदर से डिब्बे में कोई सामान आया तो समान के उपयोग के पहले ही दिमाग सोचने लगता है इस डिब्बे में क्या भरूंगी?
चाहे कितने भी डिब्बो के सैट पहले से मौजूद हो😊
इसी तरह जब भी घी बनाती हूँ पहले ही सोच लेती हूँ छाछ का क्या उपयोग करना है?
तो कहानी ऐसी है कि मैं जब बैंगलोर मे थी हमारे घर मे एक नेपाली महिला गीता काम करती थी।
3 लीटर दूध लेते थे तो हर चौथे दिन छाछ घी बनाती तो जाहिर है छाछ भी बनती
अब हर समय की उपयोग करे ?
तो मैने गीता को पूछा ?
तुम ले जाओगी ?वो बोली हाँ।
मुझे प्रसन्नता हुई कि फेंकना न पड़ेगी।
उससे भी ज्यादा और खुशी तब हुई जब उसने कहा-
मेरे आदमी को छाछ बहुत अच्छा लगा ओर पूरा पी लिया और कहने लगा कि माँ की याद आ गई गाँव की, बिल्कुल वैसा ही स्वाद है।
फिर तो जब तक मैं रही मुझे ये खुशी मिलती रही।
अब यहाँ की रसोई में भी हर पाँचवे दिन
घी बनाती हूँ तो छाछ भी भरपूर
तो सूजी के ढोकले तो निश्चित है ही
चूंकि इस छाछ में थोड़ा बहुत मक्खन रह ही जाता है तो ढोकले बहुत ही अच्छे बनते है।
सूजी के ढोकले तो आप सब हमेशा ही बनाते है तो आज की कहानी में 2 अलग चटनियों की रेसिपी दे रही हूँ।
मेरे आँगन में बहुत बड़ा मीठे नीम का पेड़ है।
इन दिनों खूब ताजी ताजी पत्तियाँ आ रही है तो सोचा चलो चटनी बनाई जाय
खूब सारी पत्तियां तोड़कर धो ली और कपड़े पर फैला कर रात भर रख दी।
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चटनी 1
एक कटोरी कढ़ी पत्ता(मीठा नीम)
आधी कटोरी मूंगफली भुनी हुई
4 हरि मिर्च
नमक स्वादानुसार
कढ़ी पत्ते को काढ़ाई में सेंक लिया मध्यम आँच पर कुरकुरा होने तक
ठंडा होने पर मूंगफली,कढ़ी पत्ता आ7र हरीमिर्च नमक डालकर पीस लिया।
अगर गीली चटनी चाहिए तो पानी और नीबू का रस मिलाएं।
चटनी 2
एक कटोरी कढ़ी पत्ता, आधी कटोरी सूखा नारियल कद्दूकस किया हुआ
4 लाल मिर्च
आधा चमच अमचूर पाउडर
नमक स्वाद के अनुसार एक चम्मच चीनी
आधा चमच भुना पिसा जीरा।
कढ़ी पत्ते। को सुखा ही कढ़ाई में भुने कुरकुरा होने तक।
निकल कर गैस बंद कर उसी कढ़ाई में
नारियल और लाल मिर्च थोड़ी बहुत ले
ठंडा होने पर सब मिलाकर पीस ले।
चटनी 3
ये आम गीले नारियल की जो इडली
के साथ बनाते है वही है।
कहानी तो कुछ और लिखने वाली थी पर आज ये कहानी बन गई।